मत छेडिये, रहने दीजिये
जो राख सी जमी हैं शोलों पर
फिर सन्नाटे को तरसते
उम्र सा लम्बा, लम्हा लग जायेगा
रोग पुराना है, दवाएं हैं बेअसर
रहम करिए, मौत की दुआ दीजिये
मत छेडिये, रहने दीजिये
जो राख सी जमी हैं शोलों पर
जो राख सी जमी हैं शोलों पर
ना फूंक भरे, मत हवा दीजिये
इस ज़ेहन का सूनापन
इक गुबार से भर जायेगाफिर सन्नाटे को तरसते
उम्र सा लम्बा, लम्हा लग जायेगा
रोग पुराना है, दवाएं हैं बेअसर
रहम करिए, मौत की दुआ दीजिये
मत छेडिये, रहने दीजिये
जो राख सी जमी हैं शोलों पर
ना फूंक भरे, मत हवा दीजिये
14 comments:
//रोग पुराना है, दवाएं हैं बेअसर
रहम करिए, मौत की दुआ दीजिये
waah sirji waah.. kya khayaal hai..
bahut khoob.. :)
फिर सन्नाटे को तरसते
उम्र सा लम्बा, लम्हा लग जायेगा
bahut khoob,sunder rachna...
Pasandgi ke shukriya Aditya bhai
Rachna pasand karne ke liye shukriya Induji
Bahut hi sunder.
bahut bahut aabhari hun seemaji
सुन्दर! अनुरोध का आदर होना चाहिये!
Smart Indian:- Sirji Aabhari hun :)
Bahut badhiyaa...bahut badhiyaa. Waah!!
Thanks Meeraji
bahut khoob :)
thnx Mishti :)
इस जहाँ का सूनापन
इक ग़ुबार से भर जाएगा
फिर सन्नाटे को तरसते
उम्र सा लंबा,लम्हा लग जाएगा...
बहुत खूब...
एक यथार्थ की सुंदर अभिव्यक्ति...
Shukriya, Shaizi
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