खुश करने तुझको

Author: Kapil Sharma / Labels:

अब लफ्ज़ नए ढूंढ़ लूँ, नया तरीका करूँ
आ दिल, नए सबब पर तुझको परीशाँ करूँ

इक तंज की वजह, ज़माने के हाथ दूँ
 लबों पे रखकर हंसी कुछ और गुनाह करूँ

रात कट चुकी, मंजिल के जेरे साया
सेहर हैं, उठूँ, नया  रास्ता करूँ

इश्क की और तरहा, मुझको खबर नहीं
गर इश्क  को इबादत न तुझको खुदा करूँ

वजूद को मैंने अपने, दुश्मन कहला लिया
खुश करने तुझको "नुक्ता"  मैं और क्या करूँ?
 

शतरंज

Author: Kapil Sharma / Labels:

इस चौखट को,
देखे वो भी
मुझसा घाग,
मुझसा चालाक
सोचे मुझ जैसी
शह  औ' मात
हाथी, घोड़े
राजा रानी
सारी चालें
एक सामान
ये अजब
शतरंज चला है
एक रंग सी
दोनों जात

मुझको भी ये तरकीब सीखा, ऐ यार जुलाहे

Author: Kapil Sharma / Labels:



बन जाने में, बिगड़ जाने में,
धागे भर का फरक होता है
इस चादर से जाने कितनी
सिलाई अब तो उधड चली है
धागे कितने उलझ चुके
ये इक ताना, बना या बिगड़ा
मुझको इतना समझा दे यार जुलाहे
मुझको भी ये तरकीब सीखा, ऐ यार जुलाहे ...

अंतर्मन