tag:blogger.com,1999:blog-80211319807661708122024-03-09T06:45:02.855+05:30अंतर्मनKapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.comBlogger114125tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-54939818768887780982020-06-24T23:49:00.003+05:302020-06-24T23:49:51.470+05:30कहने के लिए <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कितनी बातें हैं, वक़्त कितना कम, कहने के लिए<br />
थोडी देर ठहर जा, रख ले भरम, कहने के लिए<br />
<br />
तासीर ए अश्क़ भी हैं बेअसर जिन ज़ख्मों को<br />
तुम ले कर आये हो मरहम कहने के लिए<br />
<br />
हर बात रूमानी हो जाती है शायर तेरी दुनिया में,<br />
शाम के आँसू बन जाते हैं शबनम, कहने के लिए<br />
<br />
रात को जो तू स्वांग रचाये, उल्फत के, मुहब्बत के,<br />
दिन में नुक़्ता को आती हैं शरम, कहने के लिए<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-9094361088779039652019-09-05T15:14:00.001+05:302019-09-05T15:14:03.290+05:30ए मुहब्बत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
अच्छे और बुरे में<br />
तौल लू जिसे मैं,<br />
नशा, तेरा इतना भी, सस्ता नहीं हैं<br />
बच तो जाता हैं तेरा काटा,<br />
ए मुहब्बत,<br />
मगर काम का, फिर वो बचता नहीं हैं</div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-22943450805144348972018-10-30T03:30:00.000+05:302018-10-30T03:30:50.542+05:30तसव्वुर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
यूँ तसव्वुर तेरा,<br />
पूरा भर देता है,<br />
वजूद मेरा,<br />
तेरे दीद की तमन्ना<br />
मेरे दिल को<br />
क्योकर हो?</div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-24408221041758452352018-10-24T03:50:00.000+05:302018-10-24T03:50:25.598+05:30शुक्रिया<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ये तल्खी ज़ुबान की,<br />
कड़वाहट भरा सा ज़ेहन<br />
बे तबस्सुम लब,<br />
ये अदावत का पैरहन<br />
बस इसलिए कि कोई<br />
अपना करीब नही,<br />
किसी की अमानत है,<br />
अपना नसीब नही?<br />
क्यों खो रहे हो,<br />
वाइजों के रस्मो रिवाज़ में<br />
क्यों खेल रहे हो<br />
किसी और के अंदाज़ में?<br />
वो इश्क़ क्या इश्क़ नही,<br />
जो खो कर पाया जाता हैं?<br />
क्या भूले हो वो लुत्फ जो<br />
अश्कों संग बहाया जाता हैं?<br />
जो माशूक को देनी थी,<br />
ये नामुराद सौगातें?<br />
क्योकर नुक्ता अब तलक,<br />
तुम अपनी फकीरी पर इतराते?<br />
क्या हुआ जो सुबहो शाम,<br />
अपनी तकदीर में उनका दीद नही?<br />
इतना छोटा सोचोगे,<br />
ये तुमसे तो उम्मीद नही<br />
उसके तस्सवुर से भर लो<br />
रूह, दिल औ आसमान<br />
छोड़ो तल्खी, कड़वाहट<br />
लब पे लौटाओ मुस्कान<br />
देखो ये हर खूबसूरत सहर<br />
उसी परिवश का है एहसान,<br />
शुक्रिया ए महज़बीं<br />
शुक्रिया ए राहत ए जान!<br />
<br />
<br /></div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-25873395470872882742018-10-23T17:03:00.001+05:302018-10-23T17:03:22.888+05:30सखी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
अर्थहीन मुझे, वो ज्ञान रण का<br />
क्या गिरधर कहे, क्या पार्थ, सखी<br />
तेरे बिन इस व्याकुल मन की,<br />
कौन सुनेगा, पीड़ा आर्त, सखी<br />
प्रत्येक शब्द से तेरे,<br />
रिसकर आते अमृतजल ने,<br />
कितनी बार बचाई है रूह मेरी<br />
फिर से ये अंधेरे मुझे गर्त करे है<br />
थाम हाथ मेरा,<br />
मुझे बाहर निकाल सखी<br />
गरल लगता है ये यथार्थ सखी<br />
तेरे बिन इस व्याकुल मन की,<br />
कौन सुनेगा, पीड़ा आर्त, सखी<br />
<br />
तुम पूछती हो,<br />
क्या अंत समय तक,<br />
कभी साथ निभा हम पाएंगे?<br />
लाख करे प्रयत्न देव भी,<br />
ना प्रेम हिमालय डिगा वे पायेंगे<br />
जिसे कहती हो तुम स्वार्थ,<br />
वही है प्रेम में परमार्थ, सखी<br />
तेरे बिन इस व्याकुल मन की,<br />
कौन सुनेगा, पीड़ा आर्त, सखी</div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-71731065243387233422018-09-12T20:28:00.001+05:302018-09-12T20:28:55.493+05:30हथेली<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
महकता है पूरा वजूद मेरा<br />
इस हिना से बने गुलनार की तरह<br />
चमकते है सितारें कई हज़ार<br />
तेरी कलाई पर बंध इतराते है<br />
नाखूनों पर तेरी कितने<br />
तीज के चाँद नज़र आते है<br />
एक तेरी हथेली पर<br />
मैंने पा ली है कायनात अपनी</div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-82850295458493220042016-12-16T19:49:00.001+05:302016-12-16T19:49:10.236+05:30हमें, आये कोई समझाने को?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
धागे भर का फर्क है बस,<br />
हस्ती बनने को, बिगड़ जाने को<br />
अपनी तो बन गयी, समझली हैं<br />
हमें, आये कोई समझाने को?<br />
<br /><br />
हम तो चले है, नूर तुम्हारा<br />
साकी रहे सलामत अब,<br />
बरकत रहे तुम पर रिंदों की,<br />
नज़र न लगे तेरे मैखाने को<br />
<br /><br />
काँधे ले इश्काँ की दूकान,<br />
हाट बाजार, हांक लगाए है,<br />
नहीं नफा, नुक्सान बहोत है,<br />
बतला दो, तुम ही दीवाने को<br />
<br /><br />
क्या किस्सा था, कैसे बयां का ,<br />
जिक्र कर रहा था वो अजनबी<br />
क्यों नम थी नज़र-ए -साक़ी,<br />
क्यों दर्द हुआ था पैमाने को?<br />
<br /></div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-79195511937580237442016-03-08T13:45:00.004+05:302016-03-08T13:52:11.883+05:30शेखजी का बतोला हैं <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इक मैं हुँ, इक मेरा मालिक,<br />
मस्त-मौला हैं<br />
बाकी सब किस्से, अफवाहें, <br />
शेखजी का बतोला हैं<br />
ख्वाब से एक वो जागा हैं,<br />
या नया ख्वाब कोई खोला हैं<br />
बेकल नज़र की<br />
तश्ने रूहानी, कौन,<br />
कहा तक टटोला हैं ?<br />
कैसे बढ़ता ताप मनों का,<br />
आतिशफ़िशाँ सा <br />
ज़ेहनों दिल में<br />
कैसे लावा खौला हैं ?<br />
किसी जहाँ में, <br />
किसी जंग में<br />
फिर से <br />
कान्हा बोला हैं<br />
मैं सजदे में, <br />
घुटनो के बल...<br />
सारा मंज़र <br />
इन आँखों ने<br />
ना अब तक भुला हैं<br />
इक मैं हुँ, इक मेरा मालिक, <br />
मस्त-मौला हैं<br />
बाकी सब किस्से, अफवाहें, <br />
शेखजी का बतोला हैं<br />
<br />
<br />
</div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-37415534733460805922014-10-13T12:37:00.001+05:302014-10-13T12:37:21.097+05:30उसकी आँखें<p dir="ltr">अनकही बाब सी<br>
फरिश्तो  के ख्वाब सी<br>
फ़लक पे रक्स करते<br>
सितारों के ताब सी<br>
किसी शायर की<br>
पसंदीदा किताब सी<br>
प्यासे रिंद को<br>
कतरा ए शराब सी<br>
...उसकी आँखें।।।</p>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-18239406332564820482013-10-03T20:15:00.001+05:302013-10-03T20:15:04.485+05:30कोई नज़्म बस होने को है <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
फिर से महक उठा हैं<br />
पुरानी खुशुबुओं से पैरहन <br />
कोई नज़्म बस होने को है<br />
हज़ार ख्यालों से हामला हैं ज़ेहन<br />
कोई नज़्म बस होने को है<br />
कुछ यादें बीते अरसे के,<br />
लरज़ लबों पे, पलकों पे सावन<br />
कोई नज़्म बस होने को है<br />
गूँजता मैकदा, हुजूम से रिन्दों के,<br />
बैठे हैं कोने में "नुक्ता"<br />
लिए तन्हा प्यास, तन्हा धड़कन<br />
कोई नज़्म बस होने को है </div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-6452410943067407662013-03-18T15:18:00.000+05:302013-03-18T15:21:53.010+05:30मसरुफी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
मसरुफी तूने, <br />
<br />
इस तरह लाचार कर दिया <br />
<br />
इश्क के नाम,<br />
<br />
एक दिन कर ,<br />
<br />
सारी ज़िन्दगी को <br />
<br />
मोहब्बत से <br />
<br />
फारिग कर दिया </div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-6120885258332730822013-03-18T14:47:00.002+05:302013-03-18T14:47:15.613+05:30इक बाँवरा सा इंसा था<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
शौहरत तेरे,<br />अंदाज़-ए-सुखन की <br />तुझको हो मुबारक शायर,<br />मुझे बस इतनी दुआ दो,<br />के हयात यूँ याद रख ले,<br />इक बाँवरा सा इंसा था,<br />बाँवरी बातें करता था </div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-45072737657208201092013-03-17T17:21:00.002+05:302013-03-17T17:48:15.433+05:30रात ने हैं रख ली गिरवी मुझसे<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h5 class="uiStreamMessage userContentWrapper" data-ft="{"type":1,"tn":"K"}">
<span style="font-size: small;"><span style="font-weight: normal;"><span class="messageBody" data-ft="{"type":3}"><span class="userContent">ऐसे दौर -ए - खस्ता हाल ने,<br /> सवाल ए चैनो सुकूं को दिया जवाब<br /> रात ने हैं रख ली गिरवी मुझसे,<br /> मेरी नींदें, चाँद और सारे ख्वाब <br /> <br /><span class="text_exposed_show"> वो बनकर अब्र आये बरसाने मुझपर<br /> अपनी रूह का आब औ' ताब<br /> हम बदकिस्मत सूखे रह गए,<br /> ले आँखों में अश्क़ हाथों में शराब<br /> <br /> बस इक डर के वक़्त के थपेड़े,<br /> मुरझा न दे गुलदस्ता ए हयात<br /> चुन चुन कर रख लिए है उसने,<br /> सब के सब कागज़ के गुलाब</span></span></span></span></span></h5>
</div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-44916829076276152662013-03-11T11:48:00.002+05:302013-03-11T11:48:12.621+05:30पुर ख्व़ाब निगाहेंपुर ख्व़ाब निगाहें, दिल अरमानों से लबरेज <br />हज़ार हसरतों भरा आसमान हैं, हश्र अब उड़ानें हैं,<br />बस गर साथ दे जाये हौसला अपना <br />***<br />सौ इल्जाम, वाइज़ तेरे, मुझको कबुल हैं <br />यकीं मुझको पाक़तर दामन भी हैं तेरा, <br />मगर फिर भी, झाँक कभी तो गिरेबाँ अपना<br />***Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-82792679506730841562013-01-06T18:50:00.000+05:302013-01-06T18:53:47.619+05:30लौट आई है सर्द शामें फिर से<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h5 class="uiStreamMessage userContentWrapper" data-ft="{"type":1,"tn":"K"}">
<span style="font-size: small;"><span style="font-weight: normal;"><span class="messageBody" data-ft="{"type":3}"><span class="userContent">लौट आई है सर्द शामें फिर से<br /> के ठिठुरने लगे है ठन्डे रिश्ते<br /> कुछ गर्मी ताप ले हम तुम,<br /> आओ , लिपट कर सो जायें</span></span></span></span></h5>
<h5 class="uiStreamMessage userContentWrapper" data-ft="{"type":1,"tn":"K"}">
<span style="font-size: small;"><span style="font-weight: normal;"><span class="messageBody" data-ft="{"type":3}"><span class="userContent">... अरसों इस ठौर बहें ना, <br /> नव स्वप्नों के कोमल गीत<br /> सुनकर इक दूजे ही के बोल <br /> कुछ देर बहल ले हम तुम <br /> आओ , लिपट कर सो जायें</span></span></span></span></h5>
<h5 class="uiStreamMessage userContentWrapper" data-ft="{"type":1,"tn":"K"}">
<span style="font-size: small;"><span style="font-weight: normal;">
<span class="messageBody" data-ft="{"type":3}"><span class="userContent"> ... किस देस मेंह बरसें हैं फिर से,<br /> ये मरुथल तो सुखा ही सुखा<br /> दो आँसू बुला ले आँखों से,<br /> खुद अपना दामन भीगा ले हमतुम,<br /> आओ , लिपट कर सो जायें</span></span></span></span></h5>
<h5 class="uiStreamMessage userContentWrapper" data-ft="{"type":1,"tn":"K"}">
<span style="font-size: small;"><span style="font-weight: normal;">
<span class="messageBody" data-ft="{"type":3}"><span class="userContent"> लौट आई है सर्द शामें फिर से<br /> के ठिठुरने लगे है ठन्डे रिश्ते<br /> कुछ गर्मी ताप ले हम तुम,<br /> आओ , लिपट कर सो जायें</span></span></span></span></h5>
<h5 class="uiStreamMessage userContentWrapper" data-ft="{"type":1,"tn":"K"}">
<span style="font-size: small;"><span style="font-weight: normal;">
<span class="messageBody" data-ft="{"type":3}"><span class="userContent"> </span></span></span></span></h5>
</div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-43482692769660869082012-10-20T20:59:00.002+05:302012-10-20T20:59:24.816+05:30तेरी साँसों में दुबका विश्वास<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आसक्ती, मोहबंग, संन्यास<br />
अपूर्ण, खोकला, खुशियों का आभास<br />
थका थका, सारहीन, निरंतर प्रवास<br />
व्यंग करता, क्रूर हँसता, जीवन का उपहास<br />
एक केवल परम सत्य,<br />
क्षण क्षण होता ह्रास<br />
एक केवल परम धेय,<br />
उत्तरजीविता का प्रयास<br />
इकलौता उम्मीद का दीप,<br />
तेरी साँसों में दुबका विश्वास </div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-6809667810270212092012-10-08T19:34:00.002+05:302012-10-08T19:34:55.650+05:30क्यों करें याद, दीवाना सबको?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
मीनारें ये, <br />ये राजमहल<br />ढह जाये <br />बनकर खंडर<br />एक हकीक़त, <br />और है छल<br />ख़ाक इक दिन<br />हो जाना सब को<br />अच्छा हैं, <br />भूल जाना सबको<br />क्यों करें याद,<br />दीवाना सबको?<br />क्या बबूल,<br />क्या संदल<br />खा जाये आग,<br />ये सब जंगल<br />क्यों बेचैन <br />फिरें पागल <br />ख़ाक इक दिन<br />हो जाना सब को<br />अच्छा हैं, <br />भूल जाना सबको<br />क्यों करें याद,<br />दीवाना सबको?</div>
Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-42720190219113158402012-07-09T14:06:00.004+05:302012-07-09T14:06:46.415+05:30रूह की कीमतें<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
मंदिर हज़ार || <br />
हज़ार मस्जिदें देख लो || <br />
खुदा के घर में, || <br />
नाखुदा की मल्कियतें देख लो || <br />
शायद वो इक सौदा, || <br />
तुमको भी पेश कर दे || <br />
चलो बाज़ार "नुक्ता", || <br />
रूह की कीमतें देख लो || </div>Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-12240951398931847212012-07-04T14:31:00.000+05:302012-07-04T14:31:19.159+05:30गैर मौजूदगी में तेरी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
यूँ भी हुआ हैं,<br />
गैर मौजूदगी में तेरी<br />
कई सारे ख्वाब तुझसे बाबस्ता<br />
मुझे घेर कर, तेरे बारें में<br />
सवाल करने लगे हैं<br />
पूछते हैं मुझसे<br />
क्या उन आँखों से,<br />
गहरी झील हैं कोई?<br />
क्या उन जुल्फों से,<br />
स्याह रात हैं कोई?<br />
हैं कोई, जाम,<br />
उन लबों से नशीलें <br />
क्या उन धडकनों से,<br />
सुरीली बात हैं कोई?<br />
<br />
...अब सोचता हूँ <br />
क्या सचमुच में<br />
जवाब तलाशते हैं<br />
ये खाव्बों ख्याल,<br />
तुमसे जुड़े हुए<br />
या सिर्फ बेकसी पर मेरी <br />
कहकहे लगाने चले आते हैं<br />
गैर मौजूदगी में तेरी<br />
<br />
<br />
</div>Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-55070912241643313162012-07-03T14:35:00.003+05:302012-07-03T14:35:46.172+05:30हाँ अगर तू मुस्कराकर कह दे, "बस ऐसा ही है"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
चाँदनी में नहाता,<br />
खुश मिजाज़ साहिल<br />
गुनगुनाती लहरें<br />
बेमालूम सी <br />
बज़्म में शामिल<br />
न रास्ता कोई <br />
ना मंजिल <br />
ना सबब<br />
ना कोई हासिल<br />
बस तू, मैं<br />
और ये कैफियत <br />
ये ज़िन्दगी का ख्वाब, या ख़्वाबों सी ज़िन्दगी हैं <br />
यकीं अपनी खुशफेहमियों पर कर भी लू मैं <br />
हाँ अगर तू मुस्कराकर कह दे, "बस ऐसा ही है" </div>Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-52440540686880806822012-06-28T09:17:00.001+05:302012-06-28T09:17:21.127+05:30इत्ती सी नज़्म<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इत्ती सी नज़्म<br />बहोत सताती हैं मुझे<br />लफ़्ज़ों से लड़ती हैं<br />ख्यालों को तोड़ती, मरोड़ती है<br />खुद अधूरी सी रहकर,<br />सीने में रोती हैं<br />जब कभी तेरा नाम,<br />बिन शुमार किये,<br />इसे मुकम्मल करने की<br />कोशीश करता हूँ<br />इत्ती सी नज़्म<br />
बहोत सताती हैं मुझे</div>Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-13460077555477129672012-06-15T00:23:00.003+05:302012-06-15T00:23:29.334+05:30मेरे शहर के रास्ते<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
मेरे शहर के रास्ते, <br />मुझ जैसे ही पगले, दीवाने<br />मेरे शहर के रास्ते, <br />मंजिलों की क्या जाने?<br />मेरे शहर के रास्ते, <br />परवाने बिन शम्मा के<br />मेरे शहर के रास्ते,<br />लौट कर आना न जाने<br />मेरे शहर के रास्ते, <br />बेपरवा क़दमों के कायल<br />मेरे शहर के रास्ते, <br />मिजाज़ - ए - अजल<br />मेरे शहर के रास्ते,<br />सबके हमराह,<br />मेरे शहर के रास्ते<br />मेरी तरह ही गुमराह<br />मेरे शहर के रास्ते, <br />मुझ जैसे ही तन्हा</div>Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-72987977361264220982012-06-07T18:51:00.000+05:302012-06-07T19:00:21.529+05:30क्या क्या, कहना हैं?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
क्या क्या,<br />
कहना हैं, <br />
क्या क्या,<br />
मन में रहे?<br />
इक प्यासा सावन, <br />
इस नयन से,<br />
उस नयन में बहें<br />
इन नैनों ने,<br />
इक दूजे से,<br />
जाने कितने,<br />
भेद छिपाए?<br />
जाने कितने,<br />
झूठ कहें?<br />
लेकिन ये,<br />
प्रेम निगोड़ा,<br />
दोनों के,<br />
मन से ना टले<br />
सर चढ़े,<br />
चैन करे,<br />
पाँव पसर,<br />
दोनों के,<br />
हर क्षण में रहे<br />
क्या क्या,<br />
कहना हैं, <br />
क्या क्या,<br />
मन में रहे?</div>Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-40543728986155013592012-05-25T16:34:00.003+05:302012-05-25T16:35:48.796+05:30अजब नस्लें<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
<div style="text-align: left;">
अजब नस्लें,<br />
इंसान की अबके,<br />
खुदाया,<br />
उग आयी हैं</div>
<div style="text-align: left;">
देख दरया का,<br />
बढ़ता दिल,<br />
इसने प्यास<br />
अपनी बढाई हैं</div>
<div style="text-align: left;">
</div>
</div>
<div style="text-align: left;">
</div>
</div>Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8021131980766170812.post-22329404828963617402012-05-25T16:27:00.002+05:302012-05-25T16:28:28.940+05:30इसी में भलाई हैं<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
यूँ भी उन्होंने इश्क की तहज़ीब निभाई है<br />
जिक्र पर अपने, उनकी आँखें भर आई है<br />
<br />
दरिया को दूर से बस निहारा किये बरसों,<br />
यूँ भी हमने अपनी तश्नगी आजमाई है<br />
<br />
कोई दुश्मन से भी इस तरह ना पेश हो<br />
ज़िन्दगी ने हमसे यूँ दोस्ती निभाई है<br />
<br />
इश्क विश्क के फेरे में लाखों हैं बर्बाद हुए,<br />
बाज आ जाओ "नुक्ता", इसी में भलाई हैं</div>Kapil Sharmahttp://www.blogger.com/profile/14705406366990459669noreply@blogger.com10