अंतर्मन
अजब नस्लें
Author: Kapil Sharma / Labels:
ME
अजब नस्लें,
इंसान की अबके,
खुदाया,
उग आयी हैं
देख दरया का,
बढ़ता दिल,
इसने प्यास
अपनी बढाई हैं
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इसी में भलाई हैं
Author: Kapil Sharma / Labels:
ME
यूँ भी उन्होंने इश्क की तहज़ीब निभाई है
जिक्र पर अपने, उनकी आँखें भर आई है
दरिया को दूर से बस निहारा किये बरसों,
यूँ भी हमने अपनी तश्नगी आजमाई है
कोई दुश्मन से भी इस तरह ना पेश हो
ज़िन्दगी ने हमसे यूँ दोस्ती निभाई है
इश्क विश्क के फेरे में लाखों हैं बर्बाद हुए,
बाज आ जाओ "नुक्ता", इसी में भलाई हैं
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