तेरी साँसों में दुबका विश्वास

Author: Kapil Sharma / Labels:

आसक्ती, मोहबंग, संन्यास
अपूर्ण, खोकला, खुशियों का आभास
थका थका, सारहीन, निरंतर प्रवास
व्यंग करता, क्रूर हँसता, जीवन का उपहास
एक केवल परम सत्य,
क्षण क्षण होता ह्रास
एक केवल परम धेय,
उत्तरजीविता का प्रयास
इकलौता उम्मीद का दीप,
तेरी साँसों में दुबका विश्वास 

क्यों करें याद, दीवाना सबको?

Author: Kapil Sharma / Labels:

मीनारें ये,
ये राजमहल
ढह जाये
बनकर खंडर
एक हकीक़त,
और है छल
ख़ाक इक दिन
हो जाना सब को
अच्छा हैं,
भूल जाना सबको
क्यों करें याद,
दीवाना सबको?
क्या बबूल,
क्या संदल
खा जाये आग,
ये सब जंगल
क्यों बेचैन
फिरें पागल
ख़ाक इक दिन
हो जाना सब को
अच्छा हैं,
भूल जाना सबको
क्यों करें याद,
दीवाना सबको?

अंतर्मन