तेरी साँसों में दुबका विश्वास

Author: Kapil Sharma / Labels:

आसक्ती, मोहबंग, संन्यास
अपूर्ण, खोकला, खुशियों का आभास
थका थका, सारहीन, निरंतर प्रवास
व्यंग करता, क्रूर हँसता, जीवन का उपहास
एक केवल परम सत्य,
क्षण क्षण होता ह्रास
एक केवल परम धेय,
उत्तरजीविता का प्रयास
इकलौता उम्मीद का दीप,
तेरी साँसों में दुबका विश्वास 

3 comments:

Sash said...

तेरी साँसों में दुबका विश्वास बहुत खूब!!

Anonymous said...

Nice..chupi hui hi sahi pr vishwas ki lau kafi h...

Kapil Sharma said...

shukriya Sash

Shukriya Anonymous

अंतर्मन