मसरुफी तूने,
इस तरह लाचार कर दिया
इश्क के नाम,
एक दिन कर ,
सारी ज़िन्दगी को
मोहब्बत से
फारिग कर दिया
इस तरह लाचार कर दिया
इश्क के नाम,
एक दिन कर ,
सारी ज़िन्दगी को
मोहब्बत से
फारिग कर दिया
पुर ख्व़ाब निगाहें, दिल अरमानों से लबरेज
हज़ार हसरतों भरा आसमान हैं, हश्र अब उड़ानें हैं,
बस गर साथ दे जाये हौसला अपना
***
सौ इल्जाम, वाइज़ तेरे, मुझको कबुल हैं
यकीं मुझको पाक़तर दामन भी हैं तेरा,
मगर फिर भी, झाँक कभी तो गिरेबाँ अपना
***