Author: Kapil Sharma /
Labels:
ME
शराब हो, तुम हो, रूमानी सा समाँ हो
तेरी ग़ज़लों की किताब से महफ़िल यूँ जवाँ हो
मुद्दत हो गयी, "अज्जू", हमें साथ बैठे।।
***
जाने कितने जाम उतारे, उसने भी और मैंने भी
कितने रचे फलक पे चाँद सितारे, उसने भी और मैंने भी
कमाल है, तेरी गैरमौजूदगी , साकी भी और शायर भी
***
धड़कन धड़कन ढूंढा है, रेझा रेझा तलाशा
अब बस साथ है तेरा चेहरा धुन्दला सा
उस रोज़ दिल के साथ और बहोत कुछ टुटा था
***
धड़कन धड़कन ढूंढा है, रेझा रेझा तलाशा
अब बस साथ है तेरा चेहरा धुन्दला सा
उस रोज़ दिल के साथ और बहोत कुछ टुटा था
***
अजब नस्लें आबाद हैं, खुदा तेरे जहान में
शेखचिल्ली मस्त हैं, न जाने किस गुमान में
शाख दीवानी, कंपकपाती हैं, इनके नीचे
***
दिल भी भर आएगा, आँख आंसू भी छलकाएगी
बेमौसम, सेहरा पर मेघा अपनी जुल्फें लहराएगी
धुंधली भले हो जाये यादें, पिछा कहाँ छोडती है?