लाठी भी ना टूटे और साँप भी मर जाये

Author: Kapil Sharma / Labels:

लाठी भी ना टूटे और साँप भी मर जाये
कुछ सूरत, दर्दे दिल की यूँ निकाली जाये
मंजिलों की  चाह लिए, कितने सफ़र काटे हैं?
चलो रास्तों तुम्हे, तुम्हारे हश्र से मिलवाए
कुछ सूरत, दर्दे दिल की यूँ निकाली जाये
कब तलक ढोएँगे, हम बोझ माज़ियों का
सरे आइना, 'उसको' इक दिन मुआफ किया जाये
कुछ सूरत, दर्दे दिल की यूँ निकाली जाये
बातें बेसिरपैर, खोये खोये से ख्यालात,
बावले नुक्ता, नयी कौनसी तोहमत से
तुझको नवाज़ा जाये?
लाठी भी ना टूटे और साँप भी मर जाये
कुछ सूरत, दर्दे दिल की यूँ निकाली जाये

काला हंस

Author: Kapil Sharma / Labels:

एक पुरातन,
महानिर्माण का 
अवशेष मात्र था,
भंगुर क्षणों को चुन चुन रखता
मन तन से भंगित,
श्रापित, त्यागित,  
भिक्षुणी का भिक्षा पात्र था
यायावर था, 
नगर नगर फिरता बादल
सज्जन प्रहरियों
से दुर्लक्षित
"काला हंस" वो,
रचेता के दिवास्वप्न की
छाया मात्र था
विरह व्याकुल,
नवपरिणित रमणी के
मन में जन्मे, 
उन्मादों सा वो भी,
अन्धकार में मुस्कुराता
मधुर पाप था
सज्जन प्रहरियों
से दुर्लक्षित
"काला हंस" वो,
रचेता के दिवास्वप्न की
छाया मात्र था

उस रात जब तुम छोड़ गए थे

Author: Kapil Sharma / Labels:

उस रात जब तुम छोड़ गए थे
तन्हा काजल संग  इन आँखों से
बहोत कुछ था जो बह चला था
ख्वाब कई सारे,
जो तुम से बाबस्ता थे

अरमान हज़ारों,
ज़िन्दगी के, वफ़ा के
कितने दिन, कितनी रातें,
किस्से, वादें, कितनी बातें
मेघ सारे, सारे सावन
हर श्रृंगार, पूरा यौवन
सारी वजहें मुस्कुराने की
आहट बेवक्त तुम्हारे आने की
वो सब कुछ जो हम में था
वो सब कुछ जो साथ हमने सोचा था
उस रात जब तुम छोड़ गए थे
तन्हा काजल संग  इन आँखों से
बहोत कुछ था जो बह चला था

अंतर्मन