रात ने हैं रख ली गिरवी मुझसे

Author: Kapil Sharma / Labels:

ऐसे दौर -ए - खस्ता हाल ने,
सवाल ए चैनो सुकूं को दिया जवाब
रात ने हैं रख ली गिरवी मुझसे,
मेरी नींदें, चाँद और सारे ख्वाब

वो बनकर अब्र आये बरसाने मुझपर
अपनी रूह का आब औ' ताब
हम बदकिस्मत सूखे रह गए,
ले आँखों में अश्क़ हाथों में शराब

बस इक डर के वक़्त के थपेड़े,
मुरझा न दे गुलदस्ता ए हयात
चुन चुन कर रख लिए है उसने,
सब के सब कागज़ के गुलाब

4 comments:

dr.mahendrag said...

सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई

Kapil Sharma said...

dhanywaad :)

Anonymous said...

Wow..

Kapil Sharma said...

Thanku

अंतर्मन