अंतर्मन
इक उम्र
Author: Kapil Sharma / Labels:
ME
इक उम्र तलाशें,
मोज़ज़े मैंने
इक उम्र तेरा,
इंतज़ार किया
इक उम्र रहा,
दौर ऐ हिज़्र
इक उम्र खुदको
बेजार किया
0 comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अंतर्मन
पिछला लिखा
►
20
(1)
►
Jun
(1)
►
19
(1)
►
Sep
(1)
►
18
(4)
►
Oct
(3)
►
Sep
(1)
►
16
(2)
►
Dec
(1)
►
Mar
(1)
►
14
(1)
►
Oct
(1)
►
13
(6)
►
Oct
(1)
►
Mar
(4)
►
Jan
(1)
►
12
(23)
►
Oct
(2)
►
Jul
(3)
►
Jun
(3)
►
May
(2)
►
Apr
(3)
►
Feb
(2)
►
Jan
(8)
▼
11
(41)
►
Dec
(7)
▼
Nov
(11)
आँखों की गुफ्तगू
हाय रे बामन
न जाने क्या है
इक उम्र
खुद को देख पाता
पुराने कुछ अशआर मिले
"नुक्ता" बदतर हो गया
"तुम कुछ कहते क्यों नहीं?"
इन लम्हों की मौत को सुना है
सोचता हूँ अगर मैं दुवाँ माँगता
कौन रंग
►
Oct
(4)
►
Sep
(3)
►
Aug
(3)
►
Jul
(3)
►
Jun
(6)
►
May
(3)
►
Apr
(1)
►
10
(9)
►
May
(3)
►
Apr
(2)
►
Mar
(3)
►
Jan
(1)
►
09
(26)
►
Dec
(5)
►
Nov
(6)
►
Oct
(6)
►
Sep
(3)
►
Aug
(3)
►
Jul
(2)
►
Jun
(1)
हमराज़
0 comments:
Post a Comment