इन लम्हों की मौत को सुना है

Author: Kapil Sharma / Labels:

इन लम्हों की मौत को सुना है
बरसों बरसों लगते हैं
यूँही दम नहीं तोड़ते ये,
हर डूबती साँस पे लड़ते है
कैसी कैसी उमीदों पर
जीते हैं और बढते है
इन लम्हों की मौत को सुना है
बरसों बरसों लगते हैं
ये लम्हें जब साँस तुम्हारी
मेरी साँसों में मिलती हैं
ये लम्हें जब ख़्वाब तुम्हारे
मेरी पलकों पे पलते हैं
इन लम्हों की मौत को सुना है
बरसों बरसों लगते हैं

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