त्रिवेणी

Author: Kapil Sharma / Labels:

अखबार की कतरनों सी यादें
धुल चढ़े अलबमों में दबी रहती,

नाशुक्रा तूफ़ान जो घर से ना गुजरता
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यकीन दिल को भी आ जाये,
सब भूल गए हो तुम,

फेसबुक पर तस्वीरों  को like करना जो छोड़ो तुम
  
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सच ही कहा था तुमने, ज़िन्दगी हँसीमजाक में कट जाएगी
तुम सबके चेहरे की हँसी बन गए
...मैं सबकी ज़िन्दगी का मजाक
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दुआ, अदा, हया, शमा
वो मुस्कुराते रहे

नजर के रंग बदलते रहे
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3 comments:

मनोज कुमार said...

अच्छी त्रिवेणियां।

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!!

Kapil Sharma said...

धन्यवाद आप दोनों का :)

अंतर्मन