रूह की कीमतें

Author: Kapil Sharma / Labels:

मंदिर हज़ार ||
हज़ार मस्जिदें देख लो ||
खुदा के घर में,  ||
नाखुदा की मल्कियतें देख लो ||
शायद वो इक सौदा, ||
 तुमको भी पेश कर दे ||
चलो बाज़ार "नुक्ता",  ||
रूह की कीमतें देख लो ||

4 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह...
बेहद खूबसूरत.....

अनु

Kapil Sharma said...

behad dhanywaad :)

kunwarji's said...

चलो बाज़ार....
वाह क्या बात है.,

कुँवर जी,

Sash said...

बेहतरीन!!

अंतर्मन