गैर मौजूदगी में तेरी

Author: Kapil Sharma / Labels:

यूँ भी हुआ हैं,
गैर मौजूदगी में तेरी
कई सारे ख्वाब तुझसे बाबस्ता
मुझे घेर कर, तेरे बारें में
सवाल करने लगे हैं
पूछते हैं मुझसे
क्या उन आँखों से,
गहरी झील हैं कोई?
क्या उन जुल्फों से,
स्याह रात हैं कोई?
हैं कोई, जाम,
उन लबों से नशीलें
क्या उन धडकनों से,
सुरीली बात हैं कोई?

...अब सोचता हूँ
क्या सचमुच में
जवाब तलाशते हैं
ये खाव्बों ख्याल,
तुमसे जुड़े हुए
या सिर्फ बेकसी पर मेरी
कहकहे लगाने चले आते हैं
गैर मौजूदगी में तेरी


6 comments:

एक बोर आदमी का रोजनामचा said...

sundar bhaav - achhee abhivyakti --

Kapil Sharma said...

Dhanywaad Muskesh ji :)

ritu said...

loved it

Kapil Sharma said...

thanks Ritu

ANULATA RAJ NAIR said...

सुन्दर...बहुत सुन्दर....

अनु

Kapil Sharma said...

shukriya Anuji

अंतर्मन