यूँ भी हुआ हैं,
गैर मौजूदगी में तेरी
कई सारे ख्वाब तुझसे बाबस्ता
मुझे घेर कर, तेरे बारें में
सवाल करने लगे हैं
पूछते हैं मुझसे
क्या उन आँखों से,
गहरी झील हैं कोई?
क्या उन जुल्फों से,
स्याह रात हैं कोई?
हैं कोई, जाम,
उन लबों से नशीलें
क्या उन धडकनों से,
सुरीली बात हैं कोई?
...अब सोचता हूँ
क्या सचमुच में
जवाब तलाशते हैं
ये खाव्बों ख्याल,
तुमसे जुड़े हुए
या सिर्फ बेकसी पर मेरी
कहकहे लगाने चले आते हैं
गैर मौजूदगी में तेरी
गैर मौजूदगी में तेरी
कई सारे ख्वाब तुझसे बाबस्ता
मुझे घेर कर, तेरे बारें में
सवाल करने लगे हैं
पूछते हैं मुझसे
क्या उन आँखों से,
गहरी झील हैं कोई?
क्या उन जुल्फों से,
स्याह रात हैं कोई?
हैं कोई, जाम,
उन लबों से नशीलें
क्या उन धडकनों से,
सुरीली बात हैं कोई?
...अब सोचता हूँ
क्या सचमुच में
जवाब तलाशते हैं
ये खाव्बों ख्याल,
तुमसे जुड़े हुए
या सिर्फ बेकसी पर मेरी
कहकहे लगाने चले आते हैं
गैर मौजूदगी में तेरी
6 comments:
sundar bhaav - achhee abhivyakti --
Dhanywaad Muskesh ji :)
loved it
thanks Ritu
सुन्दर...बहुत सुन्दर....
अनु
shukriya Anuji
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