तुम

Author: Kapil Sharma / Labels:

कई मर्तबा यूँ भी हुआ है,
मेरे ख़्वाबों में तुम, मेरे साथ,
हर उस जगह  हो आये हो
जहाँ हम तुम  कभी नहीं गए
कई दफा, कई रात दोराहाया है 
ये ख़्वाब मैंने.
तुमने ही कहा था, ना
इक ख़्वाब को दोराहने  से बारहा
वो हकीक़त बन जाता हैं?
...तुम सही थी, ए हकीक़त मेरी!!!

अंतर्मन