यूँ भी दर्द की दवा हो
कपकपाती लौ, जोरों की हवा हो
सर्द अरमानो को एक मौत मिल ही जाए
जो वादों का सारे फ़िर से बयाँ हो
पनाहगाह मेरी, ख़ुद पनाह मांगती
तुम ही बोलो खुदाया अब मेरा क्या हो
यूँ भी दर्द की दवा हो
कपकपाती लौ, जोरों की हवा हो
यूँ भी दर्द की दवा हो कपकपाती लौ, जोरों की हवा हो
Author: Kapil Sharma / Labels: ME
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