चाँदनी में नहाता,
खुश मिजाज़ साहिल
गुनगुनाती लहरें
बेमालूम सी
बज़्म में शामिल
न रास्ता कोई
ना मंजिल
ना सबब
ना कोई हासिल
बस तू, मैं
और ये कैफियत
ये ज़िन्दगी का ख्वाब, या ख़्वाबों सी ज़िन्दगी हैं
यकीं अपनी खुशफेहमियों पर कर भी लू मैं
हाँ अगर तू मुस्कराकर कह दे, "बस ऐसा ही है"
खुश मिजाज़ साहिल
गुनगुनाती लहरें
बेमालूम सी
बज़्म में शामिल
न रास्ता कोई
ना मंजिल
ना सबब
ना कोई हासिल
बस तू, मैं
और ये कैफियत
ये ज़िन्दगी का ख्वाब, या ख़्वाबों सी ज़िन्दगी हैं
यकीं अपनी खुशफेहमियों पर कर भी लू मैं
हाँ अगर तू मुस्कराकर कह दे, "बस ऐसा ही है"
4 comments:
बेहद खूबसूरत रचना
shukriya sainiji
khoob ------ bahooot khoob ---
shukriya Muskesh ji :)
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