अंधेरो ने बज़्म में,
शिरकत शुरू की है
शिरकत शुरू की है
चल शायर,
मजलिस उठ जाने को
मजलिस उठ जाने को
अब वक़्त ज्यादा नहीं
तन्हाइयों से चाँद की बातें,
रोक ही दो जरा,
इनको भी रूठ जाने को
इनको भी रूठ जाने को
अब वक़्त ज्यादा नहीं
तक्क्लुस, खिताब
और तानो की हवस
और तानो की हवस
बाकी ना रहे,
लफ़्ज़ों का साथ छुट जाने को
लफ़्ज़ों का साथ छुट जाने को
अब वक़्त ज्यादा नहीं
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