अब भी क्या वो आईने
सच ही कहते हैं
क्या तजुर्मा उनका
बदला नही हैं
...बहुत दिन हुए उस कमरे में आए

एक पल

Author: Kapil Sharma /

एक पल, एक संसार
निशब्द, अपरम्पार
वो प्रकाश,
वो आधार
जीवन का सार

अंतर्मन

Author: Kapil Sharma / Labels:

उलझा उलझा जीवन मेरा
उलझा उलझा अंतर्मन
भटकाता कभी, कभी राह दिखता
पगला रहबर अंतर्मन

अंतर्मन