इसी में भलाई हैं

Author: Kapil Sharma / Labels:

यूँ भी उन्होंने इश्क की तहज़ीब निभाई है
जिक्र पर अपने, उनकी आँखें भर आई है

दरिया को दूर से बस निहारा किये बरसों,
यूँ भी हमने अपनी तश्नगी आजमाई है

कोई दुश्मन से भी इस तरह ना पेश हो
ज़िन्दगी ने हमसे यूँ दोस्ती निभाई  है

इश्क विश्क के फेरे में लाखों हैं बर्बाद हुए,
बाज आ जाओ "नुक्ता", इसी में भलाई हैं

10 comments:

@ngel ~ said...

इश्क विश्क के फेरे में लाखों हैं बर्बाद हुए,
बाज आ जाओ "नुक्ता", इसी में भलाई हैं :P

Eyes said...

सही कहा नुक्ता आपने .
इश्क की बात करते है. इश्क को दुश्मनों की तरह निभाते हो और कितना रुलाते हो.
बेहतर ये ही है की इश्क को ना समझाओ बल्कि निभाओ .
बेवफाई और इश्क को एक तराजू में तोलते हो.
इश्क को निभाने से डरते हो और इश्क से ही अपने लिए आजादी मांगते हो .
इश्क को अकेले छोड़ जाते हो.

dr.mahendrag said...

इश्क विश्क के फेरे में लाखों हैं बर्बाद हुए,.......
.......यूँ भी उन्होंने इश्क की तहज़ीब निभाई है
खूबसूरत ग़ज़ल खूबसूरत ग़ज़ल

Kapil Sharma said...

shurkiya @ngel, Eyes and MahendraG :)

Shashiprakash Saini said...

shundar rachna Kapil ji

Kapil Sharma said...

Sainiji Bahot bahot dhanywaad

NuPuR said...

beautiful ghazal..keep it up kapil..:)

Kapil Sharma said...

thanks Nupur

एक बोर आदमी का रोजनामचा said...

NUKTAA JEE -- BAHUT SUNDAR

Kapil Sharma said...

Thanks Sirji :)

अंतर्मन