लाठी भी ना टूटे और साँप भी मर जाये

Author: Kapil Sharma / Labels:

लाठी भी ना टूटे और साँप भी मर जाये
कुछ सूरत, दर्दे दिल की यूँ निकाली जाये
मंजिलों की  चाह लिए, कितने सफ़र काटे हैं?
चलो रास्तों तुम्हे, तुम्हारे हश्र से मिलवाए
कुछ सूरत, दर्दे दिल की यूँ निकाली जाये
कब तलक ढोएँगे, हम बोझ माज़ियों का
सरे आइना, 'उसको' इक दिन मुआफ किया जाये
कुछ सूरत, दर्दे दिल की यूँ निकाली जाये
बातें बेसिरपैर, खोये खोये से ख्यालात,
बावले नुक्ता, नयी कौनसी तोहमत से
तुझको नवाज़ा जाये?
लाठी भी ना टूटे और साँप भी मर जाये
कुछ सूरत, दर्दे दिल की यूँ निकाली जाये

अंतर्मन