मंदिर हज़ार ||
हज़ार मस्जिदें देख लो ||
खुदा के घर में, ||
नाखुदा की मल्कियतें देख लो ||
शायद वो इक सौदा, ||
तुमको भी पेश कर दे ||
चलो बाज़ार "नुक्ता", ||
रूह की कीमतें देख लो ||
हज़ार मस्जिदें देख लो ||
खुदा के घर में, ||
नाखुदा की मल्कियतें देख लो ||
शायद वो इक सौदा, ||
तुमको भी पेश कर दे ||
चलो बाज़ार "नुक्ता", ||
रूह की कीमतें देख लो ||
4 comments:
वाह...
बेहद खूबसूरत.....
अनु
behad dhanywaad :)
चलो बाज़ार....
वाह क्या बात है.,
कुँवर जी,
बेहतरीन!!
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