क्या क्या बनना था

Author: Kapil Sharma / Labels:

आँधी से मिले, 
तूफां से चल दिए
बेज़ार हम तन्हा
इक आह भरकर रह गए
साथी, हमराह, 
रहभर, मंजिल
क्या क्या बनना था,
राह-ए-हयात में
हम क्या बनकर रह गए
   

अंधेरो ने बज़्म में

Author: Kapil Sharma / Labels:

अंधेरो ने बज़्म में,
शिरकत शुरू की है
चल शायर,
मजलिस उठ जाने को 
अब वक़्त ज्यादा नहीं
तन्हाइयों से चाँद की बातें,
रोक ही दो जरा,
इनको भी रूठ जाने को
अब वक़्त ज्यादा नहीं
तक्क्लुस, खिताब
और तानो की हवस
बाकी ना रहे,
लफ़्ज़ों का साथ छुट जाने को
अब वक़्त ज्यादा नहीं
 

तेरे लबों का छु लेना

Author: Kapil Sharma / Labels:

तेरे लबों का छु लेना
नसीब अगर होता
 मेरे लफ़्ज़ों में
दुआओं सा असर होता
ये ज़िन्दगी भी 
रूमानी हो ही जाती
एक दिन जो मौत की तरह
जीने का भी मुकर्रर होता
वादा झूठा ही सही 
कर तो जाते 
नादान इस दिल को
एक क़यामत तक
और सबर होता
 
  

अंतर्मन