अब लफ्ज़ नए ढूंढ़ लूँ, नया तरीका करूँ
आ दिल, नए सबब पर तुझको परीशाँ करूँ
इक तंज की वजह, ज़माने के हाथ दूँ
लबों पे रखकर हंसी कुछ और गुनाह करूँ
रात कट चुकी, मंजिल के जेरे साया
सेहर हैं, उठूँ, नया रास्ता करूँ
इश्क की और तरहा, मुझको खबर नहीं
गर इश्क को इबादत न तुझको खुदा करूँ
वजूद को मैंने अपने, दुश्मन कहला लिया
खुश करने तुझको "नुक्ता" मैं और क्या करूँ?