बड़े खूबसूरत वो घरोंदे बनाता
बड़े मुहतात से उनको सजाता
हर एक जोड़ पे कितने ख्वाब बसाता
हसरतो के रंग शौक से लगाता
फनकार था यकीनन वो बेहतर, बेहतर
हर नक्श में कैसे जोहर दिखाता
बड़ी दिलकश होती तखलीक उसकी
कई गुल अश्कों के उसपे खिलाता
...वो "ताबुतसाज़"... हैं और रहेगा
आखरी ज़रया-ए-सफर वही तो बनाता
जब तक तुम साथ हो
Author: Kapil Sharma / Labels: MEनब्ज़ थामे रखो थोडी देर और,
देखो एक पल तो बाकी हैं अभी
दौडेगा थोडी दूर अभी ये,
भूल जायेगा दर्द सारे, रंज सारे
मचलेगा नये अरमानो संग अभी
नये ख्वाबो के पर लगाकर,
उड़ने की कोशीश भी करेगा
नादान हैं, मासूम हैं बड़ा,
...जी लेने दो इसे
...जब तक तुम साथ हो
सच्चे...झूठे
Author: Kapil Sharma / Labels: MEकई सच हैं उसके
एक दुसरे से जुदा
क्या सारे सच हैं
क्या सारे सच, सच हैं
या कुछ सच्चे
और कुछ झूठे
या सारे सच झूठे हैं
...उसकी तो वो ही जाने
यूँही खामोश से
Author: Kapil Sharma / Labels: MEयूँही खामोश से,
साहिल पर वो दोनों,
ख्वाब बुनते एक दूजे के,
एक दूजे के लिए,
उम्मीद में के कभी तो,
...ये समंदर सुख जायेगा
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